आ गई मैं, प्रियतम ! इस पार....
करो तनिक सन्मुख हो प्यासे,
मन से मधु मनुहार।
मेरी व्यथा कथा कुछ सुन लो,
अगर हो सके तो कुछ गुन लो,
मन के भाव जाल में बुन लो,
मेरी करूण पुकार.............॥
मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
आ गई मैं, प्रियतम ! इस पार....
करो तनिक सन्मुख हो प्यासे,
मन से मधु मनुहार।
मेरी व्यथा कथा कुछ सुन लो,
अगर हो सके तो कुछ गुन लो,
मन के भाव जाल में बुन लो,
मेरी करूण पुकार.............॥
छम छम करतीं पायल बाजें,
मन में परमानन्द विराजे,
कोयल की मृदु कुहूकुहू में,
नव, मकरन्द बहा,
रे मन ! क्यों है बहक रहा ?