मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
आ गई मैं, प्रियतम ! इस पार....
करो तनिक सन्मुख हो प्यासे,
मन से मधु मनुहार।
मेरी व्यथा कथा कुछ सुन लो,
अगर हो सके तो कुछ गुन लो,
मन के भाव जाल में बुन लो,
मेरी करूण पुकार.............॥
Post a Comment
No comments:
Post a Comment