Wednesday, April 15, 2009

आ गई मैं, प्रियतम ! इस पार....


आ गई मैं, प्रियतम ! इस पार....

करो तनिक सन्मुख हो प्यासे,

मन से मधु मनुहार।

मेरी व्यथा कथा कुछ सुन लो,

अगर हो सके तो कुछ गुन लो,

मन के भाव जाल में बुन लो,

मेरी करूण पुकार.............॥

Sunday, April 12, 2009

रे मन ! क्यों है बहक रहा ?


छम छम करतीं पायल बाजें,

मन में परमानन्द विराजे,

कोयल की मृदु कुहूकुहू में,

नव, मकरन्द बहा,

रे मन ! क्यों है बहक रहा ?