छम छम करतीं पायल बाजें,
मन में परमानन्द विराजे,
कोयल की मृदु कुहूकुहू में,
नव, मकरन्द बहा,
रे मन ! क्यों है बहक रहा ?
मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
छम छम करतीं पायल बाजें,
मन में परमानन्द विराजे,
कोयल की मृदु कुहूकुहू में,
नव, मकरन्द बहा,
रे मन ! क्यों है बहक रहा ?
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