Sunday, April 12, 2009

रे मन ! क्यों है बहक रहा ?


छम छम करतीं पायल बाजें,

मन में परमानन्द विराजे,

कोयल की मृदु कुहूकुहू में,

नव, मकरन्द बहा,

रे मन ! क्यों है बहक रहा ?

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