Thursday, March 5, 2009

वीणे ! वक्षस्थल पर सोजा,


वीणे ! वक्षस्थल पर सोजा,

दूखे मन ! किंचित सा रो जा,

आ, तू भी कुछ ऐसा हो जा,

जैसा है संसार.........॥

कहीं मिलेगा आश्रय अपना,

वहीं जगेगा, सोया सपना,

यदि कोई, जो होगा अपना,

कर लेगा मनुहारबज रहे हैं, वीणा के तार॥

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