खोज रही वरमाला थामे
युगलकरों में, प्रियतम को,
खोज रही थी विश्व विजन में,
दुबके रत्न मधुरतम को।
चपल दृष्टि जिस ओर उठ गई,
उधर मच गया सा हड़कम्प,
काम स्वयं, भूतल पर आया,
कौतुक देखा, हुआ विकम्प॥
मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
खोज रही वरमाला थामे
युगलकरों में, प्रियतम को,
खोज रही थी विश्व विजन में,
दुबके रत्न मधुरतम को।
चपल दृष्टि जिस ओर उठ गई,
उधर मच गया सा हड़कम्प,
काम स्वयं, भूतल पर आया,
कौतुक देखा, हुआ विकम्प॥
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