Saturday, February 7, 2009

छमछम ध्वनि करते नूपुर।

सुनने लगा ध्यान से फिर वह,

सोमगान से गीत मधुर,

सुनने लगा प्रकृति नारी के,

छमछम ध्वनि करते नूपुर।

कोकिल कंठी मीठी तानों में,

खोता सा जाता था,

अपने को असहाय निरूत्तर,

ठगा-ठगा सा पाता था॥

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