Friday, February 20, 2009

बज रहे हैं वीणा के तार....


बज रहे हैं वीणा के तार....

मधुर हृदय हो मौन सुन रहा,

सरस मधुर झंकार।

युगल नयन किंचित अलसाये,

लगते दिन कुछ-कुछ गदराये,

बदरा नील गगन में छाये,

पड़ने लगीं फुहार........॥

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