Sunday, December 14, 2008

दीप श्रद्धा के जलाऊँ।


आरती तेरी सजाऊँ.....

शारदे मां॥ शारदे मां....

आरती तेरी सजाऊँ।

भक्ति मंदिर में अनेकों,

दीप श्रद्धा के जलाऊँ।

आरती तेरी सजाऊँ॥

आरती.....

विश्व का कल्याण कर दे,

विश्व में चिर शान्ति भर दे,

परि जग की जननि! हर दे,

कीर्ति तेरी नित्य गाऊँ.....

तिमिर हर अज्ञान का मां,

ज्ञान का आलोक दे मां,

है अपरिमित दिव्य महिमा,

भाव कण कण में जगाऊँ.....

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर गीत है।बधाई।