Thursday, December 25, 2008

फलक पर छाये हुये, कलम के कमालों कलाम,


फलक पर छाये हुये, कलम के कमालों कलाम,

सितारे बन के चमक रहे हैं दुनियां में तमाम।

हो रहे रोशनी से रोशन हैं खलक के घर घर......

जिनका कोई हो नहीं...॥२॥

आप तारीफ हैं खुद, खुद तवारीख भी हैं,

अदबे आफताब भी हैं गजब के गीत भी हैं।

कशिश हैं आप हसीं-सबकी आप पर है नजर......

जिनका कोई हो नहीं...॥३॥

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