Monday, December 29, 2008

आपकी ऐ चाँद, दुनियाँ में रही है बिखर......


जाने कितना है लिखा, जाने कितना है कहा,

समन्दर आप में आब दुनियाँ का वहा चाँदनी

आपकी ऐ चाँद, दुनियाँ में रही है बिखर......

जिनका कोई हो नहीं...॥४॥

पचहत्तर साल हुए आप, हजारों ही साल हो कर,

करेंगे साया सदां आप हमारे सिर पर।

खुदा करे कि लगे आपको न जमानों की नजर......

जिनका कोई है नहीं अनके आप॥५॥

1 comment:

Vinay said...

बढ़िया रहा विकल जी, नववर्ष की शुभकामनाएँ