Thursday, December 18, 2008

आ जाये मधुऋतु जीवन में, मधु की हो बरसात सुहानी

आ जाये मधुऋतु जीवन में, मधु की हो बरसात सुहानी,
बिछुड़े सजन मिलें फिर आकर, कहें सुनें वे दुःखी कहानी।
ले तूलिका हाथ में, रंगभर उस असीम का चित्र उतारूं.....
तुम मंदिर के द्वार......॥३॥
मधुयों की मधुप्यास मधुपियों को संग लेकर खूब छकाये,
रीति प्रीति की फूल-फूल पर झूल-झूल तितली दिखलायें।
कोयल की कूः कूः पर सारी तानसेन की तानें वारूं.....
तुम मंदिर के द्वार......॥४॥
'विकल' न हो संसार सुखी हों जीव धरा पर जितने आयें
आये हैं जिस ओर जिधर से पूर्ण आयु पाकर ही जायें।
मुखड़ा देख कर्म दर्पण में मैं आगे की राह सँवारूं.....
तुम मंदिर के द्वार......॥५॥

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