भाव रस छंद राग कोष भरे अनगिन-
भारतीयता की नित्य आशा है, दिलासा है।
श्रद्धा है समूचे राष्ट्र भारत की भूरि-भूरि,
भारत विरोधियों की किन्तु यह हताशा है॥
हिन्दी हिन्दुस्तान फिल्मिस्तान ही की भाषा नाहिं,
ब्रिटिश अमेरिका दि देशन्ह की आशा है।
प्यासा हर देश हिन्दी भाषा के सरस रस,
बूंद बूंद भारती महान हिन्दी भाषा है॥२॥
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