जाने कितना है लिखा, जाने कितना है कहा,
समन्दर आप में आब दुनियाँ का वहा चाँदनी
आपकी ऐ चाँद, दुनियाँ में रही है बिखर......
जिनका कोई हो नहीं...॥४॥
पचहत्तर साल हुए आप, हजारों ही साल हो कर,
करेंगे साया सदां आप हमारे सिर पर।
खुदा करे कि लगे आपको न जमानों की नजर......
जिनका कोई है नहीं अनके आप॥५॥
1 comment:
बढ़िया रहा विकल जी, नववर्ष की शुभकामनाएँ
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