Thursday, January 1, 2009

हर ऋतु में वतन मेरा महका रहे.....


सावन में चमन, फागुन में सुमन,

हर ऋतु में वतन मेरा महका रहे.....

इसकी झिलमिल करतीं सोने

चांदी की मोती की फसलें,

गद् गद् हो जाये मन मेरा

जब सूर्य चंद्र नभ में निकलें।

टिम टिम करते तारे अनगिन

भर गोद, गगन नित हँसता रहे.....

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