सावन में चमन, फागुन में सुमन,
हर ऋतु में वतन मेरा महका रहे.....
इसकी झिलमिल करतीं सोने
चांदी की मोती की फसलें,
गद् गद् हो जाये मन मेरा
जब सूर्य चंद्र नभ में निकलें।
टिम टिम करते तारे अनगिन
भर गोद, गगन नित हँसता रहे.....
मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
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