मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
हिम मुकुट शीश पर धारण कर
सिर ऊँचा रखे हिमालय नित,
लहराता रहे परचम नभ में,
भारतमाता हो नित गर्वित।
नाचे आंगन, कर आलिंगन-
संसार कथा नित कहता रहे.....
vishva bandhtva aur raashtra prem ka adbhut samavesh hai....
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