Friday, January 2, 2009

यह भव्य भवन नित सजता रहे.....


चंचल नदियाँ ला अमृत जल,

जन जन की प्यास बुझती रहें,

से शीतल मंद सुगंध हवा,

तन तन की तपन नित हरती रहें।

कण कण में अमन-प्रमुदित तन मन-

यह भव्य भवन नित सजता रहे.....

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