मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
चंचल नदियाँ ला अमृत जल,
जन जन की प्यास बुझती रहें,
से शीतल मंद सुगंध हवा,
तन तन की तपन नित हरती रहें।
कण कण में अमन-प्रमुदित तन मन-
यह भव्य भवन नित सजता रहे.....
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