मां सरस्वती की सेवा में रत साधक का एक सद्प्रयास
आबाद प्रीति की रीति रहे
आबाद प्यार के पथ सारे,
जीवन हो सरस सभी हरषें
बरसें धरती पर रँग न्यारे।
सुरभित कण कण,
विहँसे क्षण क्षण- यह
अमृत कलश रस रिसता रहे.....
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